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बालोद  -   लगभग 105 वर्ष पुराने दुर्ग जिले को विभाजित कर वर्ष  2012 में बनाए गए बालोद जिले   की मांग वर्ष  1956 से हो रही थी।  उस   क्षेत्र के लोकप्रिय आदिवासी नेता लाल श्याम शाह ने उन दिनों तत्कालीन प्रधानमंत्री   पंडित जवाहर लाल नेहरू से मिलकर उनके सामने यह मांग रखी थी। बहरहाल नया छत्तीसगढ़   राज्य बनने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने लाल श्याम शाह के इस सपने को पूरा   किया है। करीब  55 वर्ष बाद यह सपना पूरा हुआ है। एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि वर्ष   1907 में जब दुर्ग जिले का निर्माण हुआ था , उस वक्त तत्कालीन बालोद (संजारी) को  251 गांवों के साथ एक तहसील का दर्जा दिया गया था।

नये   बालोद जिले के निर्माण के साथ ही उसके पूर्ववर्ती दुर्ग जिले का तीसरी बार विभाजन   हुआ है। ज्ञातव्य है कि  70 के दशक में दुर्ग जिले को विभाजित कर आज के राजनांदगांव   जिले का गठन किया गया था। अब वर्ष 2012 में दुर्ग जिले का फिर पुनर्गठन करते हुए दो   नये जिले बालोद और बेमेतरा बनाए गए हैं। बालोद जिले में पांच तहसीलें- डौंडी , गुरूर , डौण्डीलोहारा , बालोद और गुण्डरदेही को शामिल किया गया है , वहीं बेमेतरा जिले में भी   पांच तहसीलें- नवागढ़ , बेरला , बेमेतरा , साजा और थानखम्हरिया शामिल हैं। जिला बनाने   से पहले मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने बालोद क्षेत्र की जनता को विकास की दृष्टि कई   सौगातें दी हैं , जिनमें कृषि आधारित उद्योग के रूप में वर्ष  2009 में शुरू किए गए   मां दंतेश्वरी सहकारी शक्कर कारखाना  भी शामिल है,


, जिससे इस क्षेत्र में गन्ने की   खेती के प्रति किसानों का रूझान बढ़ने लगा है। नये बालोद जिले में कुल 687 राजस्व   ग्राम और  16 वन ग्राम हैं। राज्य सरकार ने दो राजस्व अनुविभागों , पांच विकासखण्डों , पांच तहसीलों , 393 ग्राम पंचायतों , 6 नगर पंचायतों और दो नगर पालिका परिषदों के साथ   इस नये जिले का गठन किया है। भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) द्वारा संचालित   दल्लीराजहरा की प्रसिध्द लौह अयस्क की खदानें भी नये बालोद जिले में आ गयी है।   मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की विशेष पहल के फलस्वरूप भारत सरकार ने दल्लीराजहरा-रावघाट-जगदलपुर रेल लाईन निर्माण के लिए विभिन्न चरणों में सर्वेक्षण   आदि की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इस रेल लाईन के बन जाने पर बालोद जिले के   आर्थिक विकास में और भी तेजी आएगी। साथ ही यह जिला रेल लाईन के जरिए राज्य के   जगदलपुर (बस्तर) से सीधे जुड़ जाएगा। सिंचाई सुविधा की दृष्टि से बालोद में जल   संसाधन विभाग के चार मुख्य जलाशय हैं , जिनमें लगभग नब्बे वर्ष पुराना तान्दुला सिंचाई जलाशय भी शामिल है , जिसका निर्माण वर्ष  1907 में शुरू होकर  1921 में पूर्ण   हुआ। नये बालोद जिले का राजस्व क्षेत्रफल लगभग दो लाख  78 हजार हेक्टेयर है। यहां  44 हजार  613 हेक्टेयर में आरक्षित और  30हजार  298 हेक्टेयर संरक्षित वन क्षेत्र हैं।   यह नया जिला भी छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों की तरह कृषि प्रधान जिला है। बालोद जिले में   एक लाख  75 हजार  545 हेक्टेयर खरीफ और  86 हजार  303 हेक्टेयर में रबी फसलों की खेती   जाती है

्रिय आदिवासी नेता लाल श्याम शाह ने उन दिनों तत्कालीन प्रधानमंत्री   पंडित जवाहर लाल नेहरू से मिलकर उनके सामने यह मांग रखी थी। बहरहाल नया छत्तीसगढ़   राज्य बनने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने लाल श्याम शाह के इस सपने को पूरा   किया है। करीब  55 वर्ष बाद यह सपना पूरा हुआ है। एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि वर्ष   1907 में जब दुर्ग जिले का निर्माण हुआ था , उस वक्त तत्कालीन बालोद (संजारी) को  251 गांवों के साथ एक तहसील का दर्जा दिया गया था।

नये   बालोद जिले के निर्माण के साथ ही उसके पूर्ववर्ती दुर्ग जिले का तीसरी बार विभाजन   हुआ है। ज्ञातव्य है कि  70 के दशक में दुर्ग जिले को विभाजित कर आज के राजनांदगांव   जिले का गठन किया गया था। अब वर्ष 2012 में दुर्ग जिले का फिर पुनर्गठन करते हुए दो   नये जिले बालोद और बेमेतरा बनाए गए हैं। बालोद जिले में पांच तहसीलें- डौंडी , गुरूर , डौण्डीलोहारा , बालोद और गुण्डरदेही को शामिल किया गया है , वहीं बेमेतरा जिले में भी   पांच तहसीलें- नवागढ़ , बेरला , बेमेतरा , साजा और थानखम्हरिया शामिल हैं। जिला बनाने   से पहले मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने बालोद क्षेत्र की जनता को विकास की दृष्टि कई   सौगातें दी हैं , जिनमें कृषि आधारित उद्योग के रूप में वर्ष  2009 में शुरू किए गए   मां दंतेश्वरी सहकारी शक्कर कारखाना  भी शामिल है , जिससे इस क्षेत्र में गन्ने की   खेती के प्रति किसानों का रूझान बढ़ने लगा है। नये बालोद जिले में कुल 687 राजस्व   ग्राम और  16 वन ग्राम हैं। राज्य सरकार ने दो राजस्व अनुविभागों , पांच विकासखण्डों , पांच तहसीलों , 393 ग्राम पंचायतों , 6 नगर पंचायतों और दो नगर पालिका परिषदों के साथ   इस नये जिले का गठन किया है। भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) द्वारा संचालित   दल्लीराजहरा की प्रसिध्द लौह अयस्क की खदानें भी नये बालोद जिले में आ गयी है।   मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की विशेष पहल के फलस्वरूप भारत सरकार ने दल्लीराजहरा-रावघाट-जगदलपुर रेल लाईन निर्माण के लिए विभिन्न चरणों में सर्वेक्षण   आदि की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इस रेल लाईन के बन जाने पर बालोद जिले के   आर्थिक विकास में और भी तेजी आएगी। साथ ही यह जिला रेल लाईन के जरिए राज्य के   जगदलपुर (बस्तर) से सीधे जुड़ जाएगा। सिंचाई सुविधा की दृष्टि से बालोद में जल   संसाधन विभाग के चार मुख्य जलाशय हैं , जिनमें लगभग नब्बे वर्ष पुराना तान्दुला सिंचाई जलाशय भी शामिल है , जिसका निर्माण वर्ष  1907 में शुरू होकर  1921 में पूर्ण   हुआ। नये बालोद जिले का राजस्व क्षेत्रफल लगभग दो लाख  78 हजार हेक्टेयर है। यहां  44 हजार  613 हेक्टेयर में आरक्षित और  30हजार  298 हेक्टेयर संरक्षित वन क्षेत्र हैं।   यह नया जिला भी छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों की तरह कृषि प्रधान जिला है। बालोद जिले में   एक लाख  75 हजार  545 हेक्टेयर खरीफ और  86 हजार  303 हेक्टेयर में रबी फसलों की खेती   जाती है



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